(यह कहानी जापानी लोककथा का हिंदी रूपांतरण हैं|)
समुद्र किनारे एक दयालु मछुआरा
बहुत समय पहले, जापान के तट पर स्थित मिज़ु-नो-ये (Mizu-no-ye) नामक एक छोटे से मछुआरों के गाँव में उराशिमा तारो (Urashima Taro) नाम का एक युवा मछुआरा रहता था। उसके पिता भी मछुआरे थे, और उसने मछली पकड़ने की कला में अपने पिता को भी पीछे छोड़ दिया था। लेकिन उराशिमा को उसकी मछली पकड़ने की कला से ज्यादा उसके दयालु हृदय के लिए जाना जाता था। वह कभी किसी जीव को चोट नहीं पहुँचाता था।
कछुए की मदद
एक शाम, जब वह मछली पकड़कर घर लौट रहा था, तो उसने देखा कि कुछ बच्चे एक छोटे से कछुए को परेशान कर रहे थे। कोई उसे खींच रहा था, कोई उसकी पीठ पर पत्थर मार रहा था, और कोई उसकी खोल पर डंडे से चोट कर रहा था।
उराशिमा को यह देखकर बहुत दुख हुआ। उसने बच्चों से कहा,
“अरे बच्चों, तुम इसे इतनी बेरहमी से क्यों तंग कर रहे हो? इसे दर्द हो रहा है!”
लेकिन बच्चे हंसने लगे और बोले,
“हमें क्या फर्क पड़ता है? यह तो बस एक कछुआ है!”
उराशिमा को एक उपाय सूझा। उसने हंसते हुए कहा,
“अगर तुम यह कछुआ मुझे दे दो, तो मैं तुम्हें पैसे दूँगा। तुम इन पैसों से कुछ भी खरीद सकते हो!”
पैसे देखकर बच्चों की शरारत खत्म हो गई और उन्होंने कछुआ उराशिमा को दे दिया। उराशिमा ने कछुए को अपनी हथेलियों में उठाया और प्यार से कहा,
“अरे नन्हे दोस्त, अब तुम सुरक्षित हो। तुम्हारी उम्र बहुत लंबी होती है, लेकिन ये बच्चे तुम्हारी जान लेने पर तुले थे। अब जाओ, और अगली बार सतर्क रहना!”
यह कहकर उराशिमा ने कछुए को समुद्र में छोड़ दिया। कछुआ पानी में डुबकी लगाकर गायब हो गया, और उराशिमा अपने घर लौट आया।
समुद्र से आई रहस्यमयी आवाज़
अगली सुबह, जब उराशिमा अपनी नाव लेकर समुद्र में गया, तो मौसम बहुत सुहावना था। वह लहरों पर तैरती अपनी नाव में बैठा, विचारों में खोया था कि अचानक उसे किसी ने पुकारा—
“उराशिमा! उराशिमा!”
आवाज़ बहुत मधुर और जानी-पहचानी लगी। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। फिर उसने देखा कि एक बड़ा कछुआ उसकी नाव के पास आ गया है। यह वही कछुआ था, जिसे उसने बचाया था!
कछुए ने कहा,
“उराशिमा, तुमने मेरी जान बचाई थी। तुम्हारे एहसान का बदला चुकाने आया हूँ। क्या तुम समुद्र के नीचे स्थित ड्रैगन राजा के महल चलोगे? वहाँ मेरी राजकुमारी तुम्हारा इंतजार कर रही हैं!”
उराशिमा यह सुनकर हैरान रह गया। उसने हँसते हुए कहा,
“मैं तो एक साधारण मछुआरा हूँ, समुद्र के नीचे कैसे जाऊँगा?”
कछुए ने मुस्कराते हुए कहा,
“बस मेरी पीठ पर बैठ जाओ!”
जैसे ही उराशिमा कछुए की पीठ पर बैठा, अचानक कछुआ बहुत बड़ा हो गया! फिर वह तेज़ी से समुद्र के नीचे गोता लगाने लगा।
समुद्र के नीचे का जादुई महल
जल्द ही, वे समुद्र की गहराइयों में पहुँच गए। उराशिमा ने अपनी आँखों के सामने एक अद्भुत दृश्य देखा—
मोती और प्रवालों से बना एक भव्य महल, जहाँ रंग-बिरंगी मछलियाँ पहरेदार बनी हुई थीं। जैसे ही वह महल के पास पहुँचा, सुंदर मत्स्य कन्याएँ (जलपरियाँ) उसे देखने लगीं।
फिर वहाँ से एक सुंदर युवती आई। वह थी ओतोहिमे-सामा (Otohime Sama), समुद्र के ड्रैगन राजा की बेटी! वह मुस्कुराकर बोली,
“उराशिमा, मैं ही वह कछुआ हूँ, जिसे तुमने बचाया था। मैं तुम्हारी दयालुता से बहुत प्रभावित हूँ। अब से यह महल तुम्हारा है। तुम यहाँ सदा के लिए रह सकते हो।”
उराशिमा को यह जगह इतनी सुंदर लगी कि वह वहीँ रहने के लिए राज़ी हो गया।
वक्त का जादू
समुद्र के नीचे हर दिन त्यौहार जैसा था। स्वादिष्ट भोज, मधुर संगीत, सुंदर नज़ारे—उराशिमा को कभी समय का अहसास ही नहीं हुआ। उसे लगा, जैसे बस तीन-चार दिन ही बीते हों।
एक दिन, अचानक उसे अपने माता-पिता की याद आई। वह चिंतित हो गया और बोला,
“ओतोहिमे-सामा, मैं अपने माता-पिता को बहुत याद कर रहा हूँ। मैं बस एक दिन के लिए उनसे मिलने जाना चाहता हूँ।”
ओतोहिमे की आँखों में आँसू आ गए। उसने कहा,
“मुझे पता था कि एक दिन तुम ज़रूर जाओगे। लेकिन जाते समय यह जादुई डिब्बा (तमातेबाकू – tamate-bako) ले जाओ। पर ध्यान रखना—इसे कभी मत खोलना!“
उराशिमा ने वादा किया और कछुए की पीठ पर बैठकर वापस अपने गाँव चला गया।
समय का खेल
जब वह अपने गाँव पहुँचा, तो सब कुछ बदल चुका था! घर, रास्ते, लोग—सब अजनबी लग रहे थे। वह अपने पुराने घर के पास गया, लेकिन वहाँ कोई और रहने लगा था।
उराशिमा ने एक बुजुर्ग से पूछा,
“क्या आप जानते हैं कि उराशिमा तारो का घर कहाँ है?”
बुजुर्ग ने चौंककर कहा,
“उराशिमा तारो? अरे, वह तो तीन सौ साल पहले समुद्र में गायब हो गया था!”
उराशिमा का सिर चकरा गया! उसे लगा, जैसे ज़मीन उसके पैरों के नीचे से खिसक रही हो। उसने सोचा,
“क्या सच में मैं तीन सौ साल तक समुद्र में रहा? लेकिन मुझे तो बस तीन दिन लगे थे!”
तभी उसे ओतोहिमे-सामा का दिया जादुई डिब्बा याद आया।
“शायद इसमें मेरी समस्या का हल हो!”
उसने जैसे ही डिब्बा खोला, उसमें से सफ़ेद धुंआ निकला और चारों ओर फैल गया। अचानक, उराशिमा का शरीर बूढ़ा हो गया, उसकी पीठ झुक गई, और उसके बाल बिलकुल सफेद हो गए!
अब उसे समझ आया कि ओतोहिमे ने डिब्बा न खोलने की चेतावनी क्यों दी थी। उस डिब्बे में उसके तीन सौ सालों की उम्र कैद थी, और जैसे ही उसने उसे खोला, वह क्षणभर में बूढ़ा हो गया।
——- समाप्त ——-
उराशिमा तारो कहानी से मिली सीख:
- अच्छे कर्मों का फल मिलता है – उराशिमा तारो ने कछुए की मदद की, जिससे उसे एक अनोखा इनाम मिला। यह सिखाता है कि दयालुता और परोपकार हमें हमेशा अच्छाई की ओर ले जाते हैं।
- समय की क़ीमत समझें – समुद्र महल में बिताया गया छोटा सा समय, वास्तविक दुनिया में कई वर्षों के बराबर था। इससे सीख मिलती है कि समय बहुत मूल्यवान है और इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।
- जिज्ञासा कभी-कभी खतरनाक हो सकती है – उराशिमा तारो को यह चेतावनी दी गई थी कि वह उपहारस्वरूप मिले डिब्बे को न खोले, लेकिन उसने फिर भी खोला और उसका नुकसान हुआ। इससे सीख मिलती है कि हमें अनावश्यक जिज्ञासा से बचना चाहिए और नियमों का पालन करना चाहिए।
- परिवर्तन प्रकृति का नियम है – जब उराशिमा तारो अपने गाँव लौटा, तो सब कुछ बदल चुका था। इससे यह संदेश मिलता है कि समय के साथ चीजें बदलती हैं, और हमें बदलाव को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
यह कहानी हमें दयालुता, समय की महत्ता, अनुशासन और बदलाव को अपनाने की सीख देती है।
Disclaimer:
This story is a Hindi translation of the English story taken from below mentioned reference(s). The purpose of this translation is to provide access to the content for Hindi-speaking readers who may not understand English. All rights to the original content remain with its respective author and publisher. This translation is presented solely for educational and informational purposes, and not to infringe on any copyright. If any copyright holder has an objection, they may contact us, and we will take the necessary action.
References:
Ozaki, Y. (1908). The Story of Urashima Taro, the Fisher Lad. Japanese Fairy Tales (Lit2Go Edition). Retrieved February 17, 2025, from https://etc.usf.edu/lit2go/72/japanese-fairy-tales/4881/the-story-of-urashima-taro-the-fisher-lad/