(यह कहानी जापान की एक पुरानी लोककथा पर आधारित है, जिसे हिंदी भाषा में सरल, सुंदर और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।)
बहुत समय पहले की बात है…
जापान के एक गाँव में एक बुज़ुर्ग आदमी और उसकी पत्नी रहते थे। बुज़ुर्ग व्यक्ति बहुत ही दयालु, मेहनती और सरल स्वभाव का था, लेकिन उसकी पत्नी बेहद क्रोधी और कटु स्वभाव की थी। वह हर समय छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करती और घर का माहौल बिगाड़ती रहती।
बुज़ुर्ग व्यक्ति को पक्षियों से बहुत प्रेम था। उसने एक छोटी गौरैया पाल रखी थी और उसे अपने बच्चे की तरह प्यार करता था। वह रोज़ अपने खेतों में काम करने जाता और शाम को लौटकर अपने छोटे पंखों वाली मित्र से बातें करता, उसे दाने खिलाता और छोटे-छोटे खेल सिखाता।
एक दिन की घटना
एक दिन बुज़ुर्ग आदमी लकड़ियाँ काटने जंगल चला गया। उसकी पत्नी घर पर कपड़े धोने के लिए रुक गई। उसने पहले ही चावल की मांड (स्टार्च) तैयार कर रखी थी, लेकिन जब वह उसे लेने गई, तो वह गायब थी।
तभी छोटी गौरैया उड़कर आई, और सिर झुका कर मीठी आवाज़ में बोली,
“माफ़ कीजिए, माँ जी! मुझे लगा कि यह खाना मेरे लिए रखा गया है, इसलिए मैंने इसे खा लिया। कृपया मुझे माफ़ कर दीजिए! चूँ-चूँ!”
लेकिन पत्नी को यह सुनकर और गुस्सा आ गया। उसने क्रोध में आकर चिल्लाया,
“ओह! तूने मेरी मेहनत से बनाई मांड खा ली? अभी तुझे सबक सिखाती हूँ!”
फिर उसने तेज़ी से कैंची उठाई और निर्दयता से छोटी गौरैया की ज़ुबान काट दी।
गौरैया दर्द से तड़प उठी और घबराकर उड़ गई। क्रोधी स्त्री को इस पर ज़रा भी दया नहीं आई।
गौरैया की खोज
शाम को जब बुज़ुर्ग आदमी घर लौटा, तो उसने गौरैया को खोजा, लेकिन वह कहीं नहीं दिखी। उसने अपनी पत्नी से पूछा,
“अरी! मेरी प्यारी गौरैया कहाँ है?”
पत्नी ने झूठ बोलते हुए कहा, “पता नहीं कहाँ उड़ गई, कृतघ्न कहीं की!”
परंतु जब बुज़ुर्ग व्यक्ति ने बहुत ज़िद की, तो पत्नी ने पूरा सच बता दिया और गौरैया की कटी हुई ज़ुबान भी दिखा दी। यह सुनकर बुज़ुर्ग व्यक्ति का दिल टूट गया। वह बहुत दुखी हुआ और रातभर सो न सका।
अगली सुबह, उसने निश्चय किया कि वह अपनी प्यारी गौरैया को ढूँढेगा। वह पहाड़ों और जंगलों में भटकता रहा, हर जगह पुकारता रहा,
“कहाँ हो मेरी प्यारी गौरैया? कहाँ हो मेरी कटी ज़ुबान वाली गौरैया?”
गौरैया का सुंदर महल
आखिरकार, एक बाँसों के जंगल में उसे अपनी प्यारी गौरैया मिल गई। वह बहुत खुश हुई और उसे अपने सुंदर घर में ले गई। बुज़ुर्ग व्यक्ति आश्चर्य से देखता रह गया – घर सोने-चाँदी से चमक रहा था। गौरैया ने अपने परिवार के साथ मिलकर उसका स्वागत किया। उसे तरह-तरह के पकवान परोसे गए और नृत्य दिखाए गए।
बुज़ुर्ग व्यक्ति बहुत खुश हुआ और जब वह जाने लगा, तो गौरैया ने उसे दो बक्से दिए – एक बड़ा और एक छोटा। बुज़ुर्ग व्यक्ति ने छोटा बक्सा चुना और घर लौट आया।
जब उसने बक्सा खोला, तो उसमें सोने-चाँदी के सिक्के और बहुमूल्य रत्न थे। वह बहुत प्रसन्न हुआ और गौरैया को धन्यवाद देने लगा।
लालची पत्नी का लालच
परंतु उसकी पत्नी को यह देखकर लालच आ गया। वह चिल्लाई,
“तू कितना मूर्ख है! तुझे बड़ा बक्सा लेना चाहिए था! अब मैं खुद जाऊँगी और बड़ा बक्सा लेकर आऊँगी।”
वह तुरंत गौरैया के घर पहुँची और बड़ी बेशर्मी से बोली,
“मुझे भी उपहार दो! और हाँ, मैं बड़ा बक्सा ही लूँगी!”
गौरैया ने उसे बक्सा दे दिया। वह खुशी-खुशी घर की ओर चल पड़ी। लेकिन रास्ते में उससे रहा नहीं गया और उसने बक्सा खोल लिया।
जैसे ही उसने ढक्कन हटाया, उसमें से डरावने राक्षस, साँप, और भूत निकलकर उस पर झपट पड़े। वह चीखते-चिल्लाते भागी और किसी तरह घर पहुँची।
बुज़ुर्ग आदमी ने उसे देखा और कहा,
“यह तुम्हारे लालच और क्रूरता की सज़ा है!”
इस कहानी का संदेश यही है कि हमें लालच और क्रूरता से बचना चाहिए और सदैव दयालु एवं ईमानदार रहना चाहिए।
——- समाप्त ——-
इस कहानी से हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण शिक्षाएँ मिलती हैं:
- संघर्ष और धैर्य का महत्व – जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं। यदि हम धैर्य और साहस बनाए रखें, तो हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।
- सत्य और न्याय की जीत होती है – सच्चाई और ईमानदारी की राह कठिन हो सकती है, लेकिन अंततः जीत सत्य की ही होती है।
- मित्रता और विश्वास – सच्चे मित्र मुश्किल समय में साथ देते हैं और हमें सही राह दिखाते हैं। इसलिए अच्छे दोस्तों का महत्व समझना चाहिए।
- चतुराई और बुद्धिमत्ता से समस्याओं का समाधान – केवल शक्ति से नहीं, बल्कि चतुराई और सूझबूझ से भी कठिन परिस्थितियों का हल निकाला जा सकता है।
- आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास – हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए और आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करना चाहिए।
Disclaimer:
This story is a Hindi translation of the English story taken from below mentioned reference(s). The purpose of this translation is to provide access to the content for Hindi-speaking readers who may not understand English. All rights to the original content remain with its respective author and publisher. This translation is presented solely for educational and informational purposes, and not to infringe on any copyright. If any copyright holder has an objection, they may contact us, and we will take the necessary action.
References:
Ozaki, Y. (1908). The Tongue-Cut Sparrow. Japanese Fairy Tales (Lit2Go Edition). Retrieved February 19, 2025, from https://etc.usf.edu/lit2go/72/japanese-fairy-tales/4883/the-tongue-cut-sparrow/