(यह कहानी जापानी लोककथा का हिंदी रूपांतरण हैं)
परिचय
बहुत समय पहले की बात है, जब मनुष्य केवल कल्पनाएँ करता था कि क्या अन्य ग्रहों पर भी जीवन हो सकता है। किंतु इस कहानी के अनुसार, एक समय ऐसा था जब चंद्रमा से लोग धरती पर आए थे। यह कथा हमें पूर्वजों द्वारा सौंपी गई है, जो रहस्यमयी चंद्रकन्या की अद्भुत कहानी सुनाती है।
बांस काटने वाला वृद्ध
किसी समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बूढ़े दंपति रहते थे। बूढ़े व्यक्ति का नाम सनुकी नोमिया त्सुकोमारो (Sanuki Nomiya Tsukomaro) था और गाँव के लोग उन्हें “बांस काटने वाला” कहते थे क्योंकि वह हर दिन जंगल में जाकर बांस काटकर अपना जीवन यापन करते थे।
एक दिन जब वह जंगल में बांस काट रहे थे, उन्होंने देखा कि एक बांस की डंडी अद्भुत चमक से दमक रही थी। हैरानी में, उन्होंने उस बांस को काटा तो पाया कि उसके भीतर एक छोटी-सी, लगभग चार इंच लंबी सुंदर कन्या बैठी थी।
“हे भगवान! यह अवश्य कोई दिव्य उपहार है,” बूढ़े ने कहा और बच्ची को अपने हाथों में उठा लिया।
जब वह उसे घर लाए और अपनी पत्नी को दिखाया, तो वह भी अचंभित रह गईं। उन्होंने उस कन्या को प्रेमपूर्वक पाला।
जल्द ही, यह रहस्यमयी घटना और चमत्कारी हो गई। जब भी बूढ़ा बांस काटने जाता, उसे बांस के भीतर से सोने के सिक्के मिलते। देखते ही देखते, वे दोनों बहुत समृद्ध हो गए। उनके पास अब सुंदर वस्त्र, अच्छा घर और हर प्रकार का ऐश्वर्य था।
उन्होंने अपनी प्यारी कन्या का नाम कागुया हाइम (Kaguya Hime) रखा, जिसका अर्थ था “चमकती राजकुमारी”।
अनुपम सौंदर्य की राजकुमारी
समय बीतता गया और तीन महीनों में ही कागुया हाइम बड़ी हो गईं। उनका सौंदर्य इतना अद्वितीय था कि जिसे भी उनके दर्शन होते, वह मंत्रमुग्ध हो जाता।
उनकी सुंदरता की चर्चा पूरे गाँव, नगर और राजधानी तक फैल गई। बहुत से युवा राजकुमार और धनी व्यक्ति उनके दर्शन करना चाहते थे, किंतु कागुया हाइम ने स्वयं को अपने घर तक ही सीमित रखा।
उनमें से पाँच सबसे प्रतिष्ठित पुरुषों ने राजकुमारी का हाथ माँगने का निश्चय किया:
- राजकुमार इशित्सुकुरी (Ishitsukuri)
- राजकुमार कुरामोची (Kuramochi)
- दक्षिण मंत्री अबेनो मिमुराजी (Abeno Mimuraji)
- प्रधान मंत्री ओओतोमो नो मियुकी (Ootomo No Miyuki)
- मध्य मंत्री इसोनोकामी नोमारो (Isonokami Nomaro)
वे सब राजकुमारी को विवाह के लिए मनाने के लिए हर दिन उनके घर आते, लेकिन कागुया हाइम ने किसी को भी स्वीकार नहीं किया। जब उसके पिता ने उसे समझाया कि उसे एक उपयुक्त वर चुनना चाहिए, तो कागुया ने कहा,
“मैं उनकी परीक्षा लूँगी। जो सच्चे मन से मेरा प्रेम करता होगा, वही मेरी शर्त पूरी कर पाएगा।”
फिर कागुया ने पाँचों राजकुमारों को असंभव कार्य सौंपे:
पहले राजकुमार से कहा गया कि वह भारत से भगवान बुद्ध का पवित्र कटोरा लाए।
दूसरे राजकुमार को सुनहरी डाल लाने को कहा, जो माउंट होराई (Horai) पर उगती थी।
तीसरे राजकुमार को चीन से आग में न जलने वाली मिंक की खाल (fur of a mink ) लानी थी, जो आग के रत्नों से चमकती थी।
चौथे राजकुमार को समुद्र के देवता के गले का पाँच रंगों वाला मोती लाने को कहा।
पाँचवें राजकुमार को गुप्त स्थान पर रखे गए एक चिड़िया (Japanese swallow bird) के घोंसले से दुर्लभ शंख लाने को कहा।
कठिन परीक्षाएँ और राजकुमारों की धोखाधड़ी
राजकुमार इशित्सुकुरी की यात्रा और असफलता
राजकुमार इशित्सुकुरी को बुद्ध के पवित्र पत्थर का कटोरा लाने के लिए भारत जाने की आवश्यकता थी। लेकिन यात्रा कठिन और खतरनाक थी। वह कुछ दूर तक गए, फिर मार्ग में कठिनाइयों को देखकर उन्होंने यात्रा छोड़ दी और अपने राज्य लौट आए। उन्होंने एक पुराना पत्थर का कटोरा लिया, उसे प्राचीन दिखाने के लिए उस पर धूल और खरोंचें लगा दीं और कागुया हाइम को सौंप दिया। लेकिन जैसे ही कागुया हाइम ने इसे देखा, उन्होंने तुरंत पहचान लिया कि यह असली नहीं था।
राजकुमार कुरामोची की यात्रा और असफलता
राजकुमार को सोने-चाँदी के पत्तों वाला दुर्लभ पेड़ लाने के लिए चीन या भारत जाना पड़ता। उन्होंने अपने सेवकों को बुलाया और एक नकली पेड़ बनाने का आदेश दिया। महीनों तक वह अपने महल में आराम करते रहे और जब पेड़ बनकर तैयार हुआ, तो उसे लेकर कागुया हाइम के पास गए। लेकिन उनकी चालाकी उजागर हो गई क्योंकि कारीगर जो इसे बनाने में लगे थे, वे अपनी मजदूरी माँगने पहुँच गए।
दक्षिण मंत्री अबेनो मिमुराजी की यात्रा और असफलता
उन्हें हिमालय की गहरी घाटियों में जाकर जादुई मिंक की खाल लानी थी। लेकिन यात्रा कठिन और खतरों से भरी थी। उन्होंने यात्रा शुरू की, लेकिन कुछ ही दिनों में थककर लौट आए। इसके बजाय, उन्होंने एक व्यापारी से नकली मिंक की खाल खरीद ली और कागुया हाइम को देने चले गए। जब कागुया हाइम ने इसे आग में फेंका, तो वह जलकर राख हो गई, जिससे उनका धोखा पकड़ में आ गया।
प्रधान मंत्री ओओतोमो नो मियुकी की यात्रा और असफलता
उन्होंने समुद्र के देवता का मोती प्राप्त करने के लिए जहाज में लंबी यात्रा का नाटक किया। वास्तव में, वह कुछ ही दिनों में लौट आए और एक सुंदर, साधारण मोती पेश किया। कागुया हाइम ने इसे देखते ही पहचान लिया कि यह कोई दिव्य वस्तु नहीं थी और उन्हें अस्वीकार कर दिया।
मध्य मंत्री इसोनोकामी नोमारो की यात्रा और असफलता
उन्होंने दुर्लभ कौड़ी प्राप्त करने के लिए पहाड़ों और जंगलों में यात्रा करने का दावा किया। उन्होंने एक ऊँचे वृक्ष पर चढ़कर चिड़िया के घोंसले से कौड़ी निकालने की योजना बनाई, लेकिन जैसे ही उन्होंने घोंसले में हाथ डाला, उनकी पकड़ छूट गई और वह नीचे गिरकर घायल हो गए और उसने दम तोड़ दिया।
सम्राट का प्रस्ताव और असफल प्रयास
कागुया हाइम की अनुपम सुंदरता और बुद्धिमत्ता की चर्चा सम्राट तक पहुँची। उन्होंने अपने सेवकों को भेजा और कागुया हाइम को अपने महल में बुलाने का आदेश दिया। किंतु कागुया हाइम ने सम्राट के निमंत्रण को विनम्रता से ठुकरा दिया।
सम्राट को यह अस्वीकार बर्दाश्त नहीं हुआ और वह स्वयं कागुया हाइम से मिलने उनके घर गए। जब उन्होंने कागुया हाइम को विवाह का प्रस्ताव दिया, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में इंकार कर दिया।
सम्राट ने जबरन उन्हें अपने महल ले जाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उन्होंने कागुया हाइम को छूने का प्रयास किया, वह रहस्यमय प्रकाश में विलीन हो गईं और कुछ क्षणों बाद पुनः प्रकट हो गईं, मानो किसी दिव्य शक्ति ने उनकी रक्षा की हो।
सम्राट स्तब्ध रह गए और समझ गए कि कागुया हाइम कोई साधारण स्त्री नहीं थीं। उनका हृदय भारी हो गया, किंतु उन्होंने इसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लिया।
चंद्रमा का संदेश और विदाई
समय बीतता गया, और कागुया हाइम ने एक दिन अत्यधिक उदास रहना प्रारंभ कर दिया। उनके माता-पिता और ग्रामवासी चिंतित हो उठे। जब उनके पिता ने इसका कारण पूछा, तो उन्होंने रोते हुए उत्तर दिया, “मुझे चंद्रमा से बुलावा आ चुका है। मैं इस धरती की नहीं हूँ, मुझे अब अपने असली घर लौटना होगा।”
यह सुनकर उनका पूरा परिवार दुःखी हो गया। उनके माता-पिता ने प्रार्थनाएँ कीं, कि कोई चमत्कार हो और वे उनकी प्रिय पुत्री को रोक सकें, किंतु कागुया हाइम का भाग्य पहले ही लिखा जा चुका था।
सम्राट को जब यह समाचार मिला, तो उन्होंने अपनी सेना को भेजा ताकि कागुया हाइम को चंद्रमा के दूतों से बचाया जा सके। सैनिकों ने कागुया हाइम के घर को चारों ओर से घेर लिया और पहरा देने लगे।
पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा अपनी पूरी आभा में चमक रहा था, अचानक आकाश में एक दिव्य रथ प्रकट हुआ। उसमें से स्वर्णिम वस्त्र पहने दिव्य प्राणी नीचे उतरे। कागुया हाइम, जो पहले से ही इस क्षण के लिए तैयार थीं, शांत भाव से खड़ी रहीं।
जैसे ही उन्होंने अपने माता-पिता और सम्राट को अंतिम प्रणाम किया, उनकी आँखों से आँसू छलक पड़े। उन्होंने कहा, “मुझे क्षमा करें, मैं यहाँ रहना चाहती हूँ, किंतु मैं अपनी नियति नहीं बदल सकती। जब भी तुम पूर्णिमा की रात चंद्रमा को देखोगे, मुझे याद करोगे।”
उनके शब्दों ने समस्त ग्रामवासियों को रुला दिया।
जैसे ही चंद्रमा के दूतों ने उन्हें उनके दिव्य वस्त्र पहनाए, कागुया हाइम की मानवता समाप्त हो गई और उनके चेहरे पर एक अलौकिक आभा आ गई। उन्होंने धीरे-धीरे आकाश की ओर उड़ान भरी और चंद्रमा में विलीन हो गईं।
उनके माता-पिता और गाँव के लोग बस आसमान की ओर देखते रहे, उनकी आँखों में आँसू और हृदय में शून्यता थी। सम्राट भी इस क्षण को देख रहे थे, और पहली बार उन्होंने अपने मन में असहायता महसूस की।
अंतिम स्मृति और माउंट फूजी
कागुया हाइम के जाने के बाद, सम्राट को उनके द्वारा भेजा गया एक पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में लिखा था:
“सम्राट, मैं आपकी दयालुता और प्रेम के लिए आभारी हूँ। यदि मैं आपकी रानी बन सकती, तो अवश्य बनती। किंतु मेरा जन्म किसी और लोक में हुआ है। मेरा हृदय दुखी है, किंतु मैं आपको यह अमरत्व का पेय भेज रही हूँ, ताकि आप युगों तक जीवित रह सकें।”
किन्तु सम्राट ने इस अमरत्व के पेय को पीने से मना कर दिया। उन्होंने आदेश दिया कि इसे जापान के सबसे ऊँचे पर्वत, माउंट फूजी के शिखर पर ले जाकर जलाया जाए। ऐसा कहा जाता है कि तभी से माउंट फूजी के ज्वालामुखी से धुआँ निकलता रहता है, मानो सम्राट का प्रेम और दुःख अब भी चंद्रमा तक पहुँच रहा हो।
इस प्रकार, चंद्रकन्या की यह अद्भुत कथा पीढ़ियों तक सुनाई जाती रही है, प्रेम, त्याग और नियति की यह कहानी हमेशा अमर रहेगी।
——- समाप्त ——-
कागुया हाइम की कहानी से मिली सीख
1️. सच्चे प्रेम की परीक्षा होती है – कागुया से शादी करने के इच्छुक राजकुमारों ने धोखा और चालाकी से उसे जीतने की कोशिश की, लेकिन सच्चा प्रेम त्याग और सच्चाई पर आधारित होता है, छल-कपट पर नहीं।
2️ धोखा और लालच अंततः हार की ओर ले जाते हैं – जो राजकुमार कागुया का दिल जीतने के लिए झूठ और फरेब का सहारा ले रहे थे, वे सभी असफल हुए। इसने दिखाया कि धोखा ज्यादा देर तक नहीं चलता।
3️ हर कोई अपनी नियति (कर्म) से बंधा होता है – कागुया चाहे जितना भी इस धरती से प्रेम करती थी, लेकिन उसे अपने असली घर चंद्रलोक लौटना ही पड़ा। जीवन में भी कुछ चीज़ें हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं और हमें नियति को स्वीकार करना पड़ता है।
4️ असली खुशी भौतिक चीज़ों में नहीं, बल्कि प्यार और रिश्तों में है – कागुया अमर जीवन प्राप्त कर सकती थी, लेकिन उसने अपने माता-पिता और इस धरती के प्रेम को चुना। इससे हमें सीख मिलती है कि सच्चा सुख धन-दौलत में नहीं, बल्कि अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने में है।
5️ यादें अमर होती हैं – कागुया ने भले ही धरती छोड़ दी, लेकिन उसकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहीं। यह हमें सिखाता है कि प्यार और यादें कभी नहीं मरतीं, वे हमेशा हमारे साथ रहती हैं।
6️ त्याग ही सच्चे प्रेम की निशानी है – सम्राट कागुया से बहुत प्रेम करते थे, लेकिन उन्होंने जबरदस्ती उसे रोकने की कोशिश नहीं की। सच्चा प्रेम स्वामित्व नहीं चाहता, बल्कि प्रिय व्यक्ति की खुशी और स्वतंत्रता को स्वीकार करता है।कुल मिलाकर, यह कहानी हमें प्रेम, सत्य, नियति, त्याग और अमर यादों की गहरी सीख देती है।
Disclaimer:
This story is a Hindi translation of the English story taken from below mentioned reference(s). The purpose of this translation is to provide access to the content for Hindi-speaking readers who may not understand English. All rights to the original content remain with its respective author and publisher. This translation is presented solely for educational and informational purposes, and not to infringe on any copyright. If any copyright holder has an objection, they may contact us, and we will take the necessary action.
References:
“The Moon Princess”, as told by Tetsuo Kawamoto, translated by Clarence Calkins (Read the full pdf on the link) “https://www.mission.net/japan/kobe/KaguyaHime.pdf”