(यह कहानी जापान की एक पुरानी लोककथा पर आधारित है)
बहुत समय पहले…
बहुत समय पहले की बात है। जापान में एक पराक्रमी योद्धा रहता था, जिसे लोग सम्मानपूर्वक “तवारा टोडा” (Tawara Toda) या “चावल की थैली वाले महाराज” (“My Lord Bag of Rice”) के नाम से जानते थे। उनका असली नाम था फुजीवारा हिदेसातो (Fujiwara Hidesato)। परंतु यह अनोखा नाम उन्हें कैसे मिला? यह कहानी बेहद रोचक है!
एक निडर योद्धा की खोज
हिदेसातो को कभी भी निष्क्रिय रहना पसंद नहीं था। उनका हृदय सच्चे योद्धा का था — जो खतरों से खेलने और नए रोमांचों की खोज में हमेशा तत्पर रहता।
एक दिन, उन्होंने अपनी तेज़ तलवारें कमर में बाँधी, अपने शरीर से भी ऊँचा धनुष उठाया, और तीर-कमान पीठ पर लटकाकर साहसिक यात्रा पर निकल पड़े।
कुछ ही दूर चलने पर वे सेता-नो-कराशी (Seta-no-Karashi) पुल पर पहुँचे, जो जापान की सुंदरतम झील — बीवा (Biwa) के एक छोर को जोड़ता था।
जैसे ही उन्होंने पुल पर कदम रखा, उनकी नज़र एक सर्प–ड्रैगन पर पड़ी!
यह कोई साधारण सर्प नहीं था — उसका शरीर इतना विशाल था कि लगता था जैसे कोई देवदार का पेड़ पुल पर गिरा पड़ा हो। उसकी एक विशाल पंजा पुल की एक ओर के किनारे पर टिका था और लंबी, सर्पीली पूंछ दूसरी ओर लटक रही थी।
वह गहरी नींद में था, और जैसे-जैसे उसकी भारी साँसें चलतीं, उसकी नथुनों से धुआँ और आग निकल रही थी।
पहली नज़र में यह दृश्य इतना भयावह था कि कोई भी काँप उठता।
हिदेसातो को भी एक क्षण के लिए आशंका हुई, परंतु वे उन योद्धाओं में से नहीं थे जो भय से पीछे हट जाएँ।
उन्होंने अपने संदेह और डर को झटका दिया, सिर ऊँचा किया, और निर्भीकता से आगे बढ़ गए।
वे सीधा सर्प–ड्रैगन के विशाल शरीर पर चलने लगे — कभी उसके पृष्ठ पर, तो कभी उसकी कुंडली के बीच से होते हुए!
एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक पल के लिए भी हिचकिचाए नहीं। और उसी अडिग आत्मविश्वास के साथ पुल पार कर गए।
रहस्यमय बुलावा
…परंतु जैसे ही वे आगे बढ़े, एक रहस्यमय आवाज़ गूँज उठी—
“रुको, वीर योद्धा!”
जैसे ही उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, उनकी आँखें आश्चर्य से फैल गईं।
जहाँ कुछ क्षण पहले वह भयावह सर्प–ड्रैगन पड़ा था, वहाँ अब वह पूरी तरह से गायब हो चुका था!
उसकी जगह एक विचित्र दिखने वाला पुरुष खड़ा था, जो अत्यंत सम्मानपूर्वक भूमि तक झुककर नमन कर रहा था।
उसका लाल-गुलाबी केशराशि कंधों तक लहराती थी, और सिर पर एक ड्रैगन के मुँह के आकार का मुकुट था। उसके वस्त्र समुद्री हरे रंग के थे, जिन पर शंख और सीपियों की आकृतियाँ उभरी हुई थीं।
हिदेसातो तुरंत समझ गए कि यह कोई साधारण मनुष्य नहीं है। उनके मन में कई प्रश्न उमड़ने लगे—
“वह सर्प-ड्रैगन इतनी जल्दी कहाँ गायब हो गया?”
“या फिर वह स्वयं इस व्यक्ति में बदल गया?”
“आखिर यह सब रहस्य क्या है?”
इन विचारों के बीच वे उस व्यक्ति के पास पहुँचे और बोले—
“क्या आपने मुझे पुकारा था?”
उस अजनबी ने सिर झुकाकर कहा—
“हाँ, वीर योद्धा! यह मैं ही था। मुझ पर एक बहुत बड़ी विपत्ति आ पड़ी है, और मैं आपसे एक विनती करना चाहता हूँ। क्या आप मेरी सहायता करेंगे?”
हिदेसातो ने निर्भीकता से उत्तर दिया—
“यदि यह मेरे सामर्थ्य में हुआ, तो मैं अवश्य आपकी सहायता करूँगा। लेकिन पहले यह तो बताइए, आप हैं कौन?”
वह व्यक्ति विनम्रता से बोला—
“मैं इस झील का ‘ड्रैगन राजा‘ हूँ, और मेरा महल इस पुल के ठीक नीचे जल के भीतर स्थित है।”
यह सुनकर हिदेसातो को और अधिक जिज्ञासा हुई। उन्होंने पूछा—
“तो आप मुझसे क्या सहायता चाहते हैं?”
ड्रैगन राजा ने झील के उस पार स्थित एक ऊँचे पर्वत की ओर इशारा करते हुए कहा—
“मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप मेरे सबसे भयंकर शत्रु ‘विशालकाय विषधारी कनखजूरे‘ (सेंटीपीड) को मार दें, जो उस पहाड़ पर रहता है।”
हिदेसातो आश्चर्य में पड़ गए—
“लेकिन वह कनखजूरा आपको क्यों मारना चाहता है?”
ड्रैगन राजा ने गहरी सांस ली और दुखभरी आवाज़ में कहा—
“मैं वर्षों से इस झील में शांति से रह रहा था। मेरी एक बड़ी संतति है—मेरे बच्चे, पोते-पोतियाँ—हम सब यहाँ आनंद से रहते थे। लेकिन कुछ समय पहले उस राक्षसी सेंटीपीड को हमारे घर का पता लग गया।
रात होते ही वह नीचे उतरता है और मेरे परिवार के एक सदस्य को उठा ले जाता है!
रात-दर-रात यह सिलसिला चलता रहा है। मैं उसे रोकने में असमर्थ हूँ। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो न केवल मेरे परिवार का विनाश हो जाएगा, बल्कि अंततः मैं स्वयं भी उसका शिकार बन जाऊँगा।
अब मेरा धैर्य समाप्त हो चुका है, इसलिए मैंने निश्चय किया कि किसी मानव योद्धा से सहायता माँगूँ।
पिछले कई दिनों से मैं इस पुल पर भयानक सर्प–ड्रैगन का रूप धारण करके बैठा था, इस आशा में कि कोई साहसी और निडर योद्धा इधर से गुज़रेगा।
लेकिन जो भी मुझे देखता, भय से काँपकर उल्टे पाँव भाग जाता।
आप पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने बिना किसी डर के मुझ पर कदम रखा और आगे बढ़ गए।
इससे मुझे समझ आ गया कि आपमें असाधारण साहस और पराक्रम है!
इसीलिए मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ—क्या आप मेरे शत्रु को मारकर मुझे इस संकट से मुक्ति दिलाएँगे?”
ड्रैगन राजा का भव्य महल और भयानक संकट
ड्रैगन राजा की दर्दभरी कहानी सुनकर हिदेसातो को गहरा दुःख हुआ। एक महान योद्धा होने के नाते, उन्होंने बिना किसी झिझक के सहायता करने का वचन दे दिया।
उन्होंने पूछा—“मुझे बताइए, वह भयंकर कनखजूरा कहाँ रहता है? मैं तुरंत उस पर आक्रमण करूँगा!”
ड्रैगन राजा ने पहाड़ की ओर इशारा करते हुए कहा—“वह मिकामी (Mikami) पर्वत पर रहता है। लेकिन हर रात, एक निश्चित समय पर वह झील के महल पर हमला करने आता है। सबसे अच्छा यही होगा कि हम यहीं उसके आने का इंतज़ार करें।”
इसके बाद, ड्रैगन राजा हिदेसातो को अपने जलमहल में ले जाने लगे।
यह देखकर हिदेसातो चकित रह गए कि जैसे ही वे झील के पानी में उतरे, जल स्वयं दो भागों में बंट गया और एक रास्ता बना दिया!
ना तो हिदेसातो के वस्त्र गीले हुए, ना ही पानी की एक बूँद उन पर गिरी।
वह सोचने लगे—
“क्या यह कोई सपना है? या फिर सचमुच मैं किसी जादुई दुनिया में आ गया हूँ?”
कुछ ही क्षणों में वे एक अद्भुत संगमरमर के महल में पहुँचे, जो झील के तल में बना था।
हिदेसातो ने पहले भी सुना था कि समुद्र के भीतर समुद्र-राजा (सी किंग) का महल होता है, जहाँ मछलियाँ ही सेवक होती हैं। लेकिन यह महल तो झील के हृदय में छिपा हुआ एक स्वर्ग था!
यहाँ सुनहरी मछलियाँ, लाल रंग की कार्प (carp) मछलियाँ और चाँदी-सी चमकती ट्राउट (trout) मछलियाँ सेवकों की तरह ड्रैगन राजा और उनके मेहमान की सेवा कर रही थीं!
महल में हिदेसातो के स्वागत में भव्य भोज रखा गया।
भोजन ऐसे बर्तनों में परोसा गया, जो कमल के पारदर्शी पत्तों और फूलों से बने थे।
चॉपस्टिक्स दुर्लभ आबनूस (एबोनी) की लकड़ी से बने थे।
हिदेसातो अभी इस शाही सत्कार का आनंद ले ही रहे थे कि तभी…
महल के विशाल फिसलते हुए दरवाज़े खुले, और भीतर से दस सुनहरी मछलियों की सुंदर नृत्यांगनाएँ बाहर आईं।
उनके पीछे-पीछे लाल रंग की दस कार्प मछलियाँ आईं, जो संगीत वाद्ययंत्र ‘कोतो‘ (koto) और ‘सामिसेन‘ (samisen) बजा रही थीं।
संगीत और नृत्य इतना मोहक था कि रात कैसे बीत गई, पता ही नहीं चला।
हिदेसातो कुछ क्षणों के लिए उस भयावह कनखजूरे को भूल ही गए।
ड्रैगन राजा ने एक प्याला उठाकर कहा—
“वीर योद्धा, आइए! हम इस विजय के लिए जाम उठाएँ!”
लेकिन तभी…
“धम! धम! धम!”
महल ज़ोरों से हिल उठा, जैसे कोई भीमकाय सेना कदमताल करते हुए पास आ रही हो!
ड्रैगन राजा का चेहरा पीला पड़ गया।
वह घबराकर बोले—
“वह आ गया…! यह वही भयानक कनखजूरा है!”
राक्षसी कनखजूरे का आतंक
हिदेसातो और ड्रैगन राजा दोनों तुरंत खड़े हो गए और महल की बालकनी की ओर दौड़े।
सामने पर्वत की चोटी पर दो जलते हुए अग्नि गोले धीरे-धीरे पास आ रहे थे।
ड्रैगन राजा भय से काँपते हुए बोले—
“वह देखो! कनखजूरा! ये जो दो जलते हुए गोले दिख रहे हैं, ये इसकी आँखें हैं! यह शिकार करने आ रहा है। अब इसे मारने का यही सही समय है!”
हिदेसातो ने अंधेरे में पहाड़ की ओर देखा।
रात के तारे टिमटिमा रहे थे, और उन अग्नि जैसे नेत्रों के पीछे, एक विशाल भयानक शरीर पर्वत के चारों ओर लिपटा हुआ था।
उसके सौ पैरों की रोशनी ऐसे चमक रही थी जैसे दूर-दूर तक लालटेनें टिमटिमा रही हों।
परंतु हिदेसातो के चेहरे पर डर का नामोनिशान भी नहीं था।
उन्होंने ड्रैगन राजा से कहा—
“चिंता मत कीजिए। मैं इसे अवश्य मारूँगा। बस मुझे मेरा धनुष और बाण लाइए।”
ड्रैगन राजा दौड़कर योद्धा का धनुष और तरकश ले आए।
हिदेसातो ने देखा कि उनके पास सिर्फ़ तीन बाण ही बचे थे।
उन्होंने एक बाण निकाला, धनुष पर चढ़ाया और लक्ष्य साधकर छोड़ दिया।
बाण सीधा कनखजूरे के मस्तक के बीचों-बीच जाकर लगा…
परंतु, जैसे ही बाण उसे छूता, वह वापस उछलकर गिर जाता!
हिदेसातो जरा भी विचलित नहीं हुए।
उन्होंने दूसरा बाण उठाया, पूरी शक्ति से खींचा और छोड़ दिया।
फिर वही हुआ।
बाण ने कनखजूरे का सिर तो छुआ, लेकिन उसे कोई चोट नहीं पहुँची!
ऐसा लगा मानो वह किसी अजेय शक्ति से घिरा हुआ हो।
ड्रैगन राजा ने जब यह देखा कि महान योद्धा के बाण भी इस दैत्य को चोट नहीं पहुँचा पा रहे, तो उनकी उम्मीदें टूटने लगीं।
वह डर से काँपते हुए बोले—
“अब क्या होगा? यह तो अमर है!”
आखिरी बाण और अंतिम दांव
अब हिदेसातो के तरकश में केवल एक ही बाण बचा था।
यदि यह असफल हो गया, तो उस भयावह राक्षसी जीव को मारने का कोई और उपाय नहीं था।
उधर, कनखजूरे का विशालकाय शरीर पहाड़ से लहराता हुआ उतरने लगा।
उसकी आग जैसी आँखें अब झील के पानी में चमकने लगी थीं।
उसके सौ पैरों की लपटें झील में प्रतिबिंबित हो रही थीं, मानो आसमान में कोई जलता हुआ दैत्य उतर रहा हो!
इसी क्षण हिदेसातो को एक पुरानी बात याद आई—
“मनुष्य की लार कनखजूरे के लिए विष के समान होती है!”
परंतु यह कोई साधारण कनखजूरा नहीं था!
यह तो राक्षस था, जिसकी कल्पना मात्र से रूह काँप जाए।
परंतु वीर योद्धा ने निडर होकर अपना आखिरी दांव खेला।
उन्होंने अपने अंतिम बाण को पहले अपने मुँह में रखा, उसकी नोक पर लार लगाई और फिर धनुष पर चढ़ाया।
इस बार उन्होंने पूरी ताकत से लक्ष्य साधा और बाण छोड़ दिया।
बाण सीधा कनखजूरे के मस्तिष्क के बीचों-बीच घुस गया!
“घड़ाम!”
पूरा पर्वत हिल उठा।
कनखजूरे का भीमकाय शरीर अचानक तड़पने लगा।
उसकी जलती हुई आँखें मद्धम पड़ने लगीं।
उसके सौ पैरों की रोशनी बुझती चली गई, जैसे किसी तूफानी शाम का सूरज धीरे-धीरे अंधेरे में समा जाए।
भयावह रात का अंत
और फिर…पूरा आकाश अंधकार में डूब गया।
बिजलियाँ चमकने लगीं, बादल गरजने लगे और तेज़ आंधी चलने लगी।
ड्रैगन राजा, उनके बच्चे और सेवक महल के कोनों में सहमे हुए छिप गए।
महल की दीवारें तक हिल रही थीं, मानो धरती ही फटने वाली हो।
परंतु धीरे-धीरे वह भीषण रात बीत गई।
सुबह होते ही सूरज की किरणें झील पर बिखर गईं।
आसमान बिल्कुल साफ था।
और जब हिदेसातो ने मिकामी पर्वत की ओर देखा…
कनखजूरे का अंत हो चुका था!
वीरता की जीत और अटूट कृतज्ञता
हिदेसातो ने महल के अंदर जाकर ड्रैगन राजा को आवाज़ दी—
“अब बाहर आइए, कनखजूरे का अंत हो चुका है! अब डरने की कोई ज़रूरत नहीं!”
ड्रैगन राजा ने जैसे ही यह सुना, उन्होंने सांस में सांस ली।
इसके बाद महल के सभी निवासी खुशी से उछल पड़े।
वे दौड़ते हुए महल की बालकनी पर आ गए।
हिदेसातो ने झील की ओर इशारा किया।
वहाँ…
वह भयावह कनखजूरा, जिसने वर्षों तक झील के वासियों को आतंकित किया था, अब मृत पड़ा था।
उसका विशाल शरीर पानी में तैर रहा था, और झील का जल उसके रक्त से लाल हो चुका था।
ड्रैगन राजा और उनका परिवार हिदेसातो के चरणों में झुक गया।
“आप हमारे रक्षक हैं! आप समूचे जापान के सबसे बहादुर योद्धा हैं!”
उनकी कृतज्ञता की कोई सीमा नहीं थी।
भव्य उत्सव और अभूतपूर्व स्वागत
राजमहल में एक और शानदार दावत तैयार की गई।
इस बार, पहले से भी अधिक भव्य!
हर प्रकार की स्वादिष्ट मछलियाँ, अलग-अलग तरीकों से पकाई गईं—
कहीं कच्ची, कहीं उबली, कहीं भुनी, तो कहीं मसालों में पकी हुई।
कोरल की थालियों और क्रिस्टल की कटोरियों में स्वादिष्ट व्यंजन परोसे गए।
संगीत की मधुर धुनों के बीच, शुद्ध और दुर्लभ मदिरा हिदेसातो को परोसी गई, जो उन्होंने अपने जीवन में पहले कभी नहीं चखी थी।
अब दिन निकल आया था।
सूरज चमक रहा था, झील की सतह किसी तरल हीरे की तरह दमक रही थी, और महल—जो रात में अद्भुत लग रहा था—अब दिन के उजाले में हज़ार गुना अधिक सुंदर दिख रहा था।
ड्रैगन राजा ने हिदेसातो से अनुरोध किया—
“कुछ दिन और हमारे साथ रुक जाइए।”
परंतु हिदेसातो ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया—
“मैंने जो करने आया था, वह पूरा हो चुका है। अब मुझे अपने घर लौटना होगा।”
ड्रैगन राजा और उनके परिवार को बहुत दुःख हुआ कि हिदेसातो इतनी जल्दी जा रहे थे।
परंतु जब उन्होंने देखा कि योद्धा का मन वापस जाने के लिए दृढ़ है, तो उन्होंने आग्रह किया—
“तो कृपया, हमारी ओर से ये कुछ छोटे-छोटे उपहार स्वीकार करें। यह हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है, क्योंकि आपने हमें हमेशा के लिए उस भयंकर दानव से मुक्त कर दिया है!”
हिदेसातो की चमत्कारी भेंट और अनोखी वापसी
हिदेसातो जब महल के द्वार पर विदा लेने खड़े हुए, तभी एक अद्भुत घटना घटी!
अचानक, मछलियों की एक लंबी कतार इंसानों में बदल गई।
अब वे सभी शानदार राजसी वस्त्र पहने खड़े थे, सिर पर ड्रैगन के मुकुट, जिससे यह साफ था कि वे महान ड्रैगन राजा के सेवक हैं।
उनके हाथों में कुछ अनमोल उपहार थे, जो योद्धा को भेंट किए जाने थे—
🔸 पहला उपहार: एक विशाल कांस्य की घंटी।
🔸 दूसरा उपहार: चावल से भरा एक थैला।
🔸 तीसरा उपहार: बढ़िया रेशमी कपड़ों का एक थान।
🔸 चौथा उपहार: एक जादुई रसोई पात्र।
🔸 पाँचवा उपहार: एक और सुंदर घंटी।
हिदेसातो इतने बहुमूल्य उपहार लेना नहीं चाहते थे।
परंतु ड्रैगन राजा ने बड़े प्रेम और आग्रह से कहा—
“कृपया, इन्हें स्वीकार करें। यह हमारी कृतज्ञता की छोटी-सी निशानी है।”
अब हिदेसातो मना कैसे कर सकते थे?
महान ड्रैगन राजा स्वयं योद्धा को पुल तक छोड़ने आए।
वहाँ पहुँचकर, उन्होंने झुककर कई बार प्रणाम किया, और कहा—
“आपका हृदय से धन्यवाद, वीर योद्धा! आपका नाम सदा अमर रहेगा!”
इसके बाद, ड्रैगन राजा जल में विलीन हो गए, और उनकी पूरी सेवा टोली हिदेसातो के साथ उनके घर की ओर चल दी, उन अनमोल उपहारों को लेकर, जो भविष्य में हिदेसातो को अकल्पनीय सौभाग्य देने वाले थे।
घर में मची हलचल—क्या हुआ था इस रात?
हिदेसातो के घरवाले और सेवक बहुत चिंतित थे।
रातभर उनके लौटने की राह देखी, लेकिन जब सुबह तक कोई खबर नहीं मिली, तो उन्होंने सोचा कि शायद तेज़ आंधी-तूफान की वजह से वे कहीं शरण लिए हुए होंगे।
सुबह सेवकों की नजर हिदेसातो पर पड़ी—वे खुशी से चिल्ला उठे—
“स्वामी लौट आए! देखो, देखो! उनके पीछे ये सजे-धजे लोग कौन हैं?”
पूरा परिवार आंगन में दौड़ा चला आया।
वे हैरानी से देखते रहे कि एक राजसी टोली ध्वज थामे हुए हिदेसातो के पीछे-पीछे चल रही थी, भारी-भरकम भेंट लेकर।
जैसे ही ड्रैगन राजा के सेवकों ने उपहारों को ज़मीन पर रखा, वे रहस्यमय तरीके से अदृश्य हो गए।
हिदेसातो ने अपनी रोमांचक यात्रा और ड्रैगन राजा के साथ हुई घटनाओं को सबको विस्तार से सुनाया।
जब इन उपहारों को खोला गया, तो पता चला कि ये साधारण उपहार नहीं, बल्कि जादुई शक्तियों से भरे थे!
✨ कांस्य की घंटी— साधारण निकली, जिसे हिदेसातो ने पास के मंदिर को दान कर दिया। अब वह घंटी रोज़ पूरे गाँव में समय की सूचना देने लगी।
✨ चावल का थैला— इस थैले से जितना भी चावल निकाला जाता, वह कभी ख़त्म नहीं होता!
✨ रेशमी थान— इससे बार-बार नए वस्त्र बनाए जाते, फिर भी यह कभी छोटा नहीं होता!
✨ रसोई पात्र— इसमें कोई भी भोजन बिना लकड़ी या आग के पकता था, और स्वाद ऐसा कि मानो स्वयं देवताओं ने परोसा हो!
“बोरी भर चावल वाले स्वामी”— हिदेसातो की अमर प्रसिद्धि
इन जादुई उपहारों के कारण हिदेसातो को कभी न तो चावल खरीदने की ज़रूरत पड़ी, न कपड़े, न ईंधन।
धीरे-धीरे उनकी समृद्धि और सौभाग्य की कहानियाँ दूर-दूर तक फैल गईं।
लोग उन्हें अब उनके साहस और अपार समृद्धि के कारण “बोरी भर चावल वाले स्वामी” (My Lord Bag of Rice) कहकर बुलाने लगे।
और इस प्रकार, एक साधारण योद्धा की बहादुरी ने उसे अनंत वैभव और सम्मान का अधिकारी बना दिया।
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References:
Ozaki, Y. (1908). My Lord Bag of Rice. Japanese Fairy Tales (Lit2Go Edition). Retrieved February 22, 2025, from https://etc.usf.edu/lit2go/72/japanese-fairy-tales/4846/my-lord-bag-of-rice/