(यह कहानी जापान की एक पुरानी लोककथा पर आधारित है)
बहुत समय पहले की बात है। जापान के समुद्रों की गहराइयों में एक अद्भुत साम्राज्य था—समुद्र का राज्य। इस राज्य पर शासन करता था एक महान राजा, जिसे रयु जिन (Ryn Jin) कहा जाता था। वह समुद्रों का ड्रैगन राजा (Dragon King of the Sea) था और अपार शक्तियों का स्वामी था। समुद्र में रहने वाले सभी जीव-जंतु—छोटे हों या बड़े—सब उसके अधीन थे।
रयु जिन के पास दो जादुई रत्न थे—भाटा रत्न (Ebb Jewel) और ज्वार रत्न (Flow Jewel)। जब वह भाटा रत्न को समुद्र में फेंकता, तो पानी पीछे हट जाता, और जब वह ज्वार रत्न को समुद्र में डालता, तो ऊँची लहरें उठतीं और किनारे तक पहुँचतीं। यह शक्ति किसी भी राजा के लिए अद्वितीय थी।
रयु जिन का महल समुद्र की गहराइयों में स्थित था और इतना सुंदर था कि उसकी तुलना किसी सपने से भी नहीं की जा सकती। उसकी दीवारें कोरल (coral) से बनी थीं, छत जेड स्टोन (jadestone) और माणिक से जड़ी थी, और फ़र्श माँ-मोती (mother-of-pearl) से बना था। महल में अनगिनत रत्न और खजाने भरे पड़े थे, और चारों ओर समुद्र की अद्भुत जीव-जंतुओं की चहल-पहल थी।
लेकिन इतनी संपत्ति और शक्ति के बावजूद ड्रैगन राजा दुखी था।
ड्रैगन राजा की चिंता
राजा की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि वह अकेला था। विशाल राज्य, अनगिनत सेवक, अपार दौलत—लेकिन जीवन में सच्चा सुख पाने के लिए उसे एक रानी चाहिए थी। वह सोचने लगा, “अगर मैं विवाह कर लूँ, तो मेरा जीवन सुखमय हो जाएगा और मेरा राज्य भी और शक्तिशाली बन जाएगा।”
यह सोचकर उसने अपने सबसे भरोसेमंद मछली सेवकों को बुलाया और आदेश दिया—
“समुद्र की सबसे सुंदर और योग्य युवती ढूँढो जो मेरी रानी बनने के योग्य हो।”
राजा के दूत चारों दिशाओं में समुद्र की गहराइयों में निकल पड़े। कई दिनों तक खोजने के बाद वे एक अत्यंत सुंदर ड्रैगन कन्या को लेकर लौटे।
रानी के हरे-चमकीले शल्क (scales) सूरज की रोशनी में भौरों के पंखों की तरह दमकते थे। उसकी आँखों से आग सी चमकती थी, और उसके वस्त्र रत्नों और समुद्री मोतियों से जड़े हुए थे।
ड्रैगन राजा उसे देखते ही मोहित हो गया और भव्य आयोजन के साथ उनका विवाह संपन्न हुआ। समुद्र की सारी मछलियाँ—छोटी से छोटी झींगा मछली से लेकर विशाल व्हेल तक—राजा-रानी को बधाई देने आईं।
समुद्री दुनिया में ऐसा जश्न पहले कभी नहीं हुआ था।
रानी की बीमारी और संकट
कुछ महीनों तक राजा और रानी बहुत खुश रहे। वे एक-दूसरे से गहरे प्रेम करने लगे। राजा ने महल के हर कोने में छिपे खजाने, रहस्यों और समुद्र की अद्भुत चीज़ें रानी को दिखाईं। रानी भी इन नए अनुभवों का आनंद ले रही थी।
लेकिन फिर अचानक रानी बीमार पड़ गई।
राजा बहुत चिंतित हो गया। उसने तुरंत समुद्र के सबसे कुशल चिकित्सक को बुलवाया।
डॉक्टर ने रानी की जाँच की और गंभीर स्वर में कहा—
“रानी की स्थिति बहुत नाज़ुक है। उन्हें बचाने के लिए हमें एक विशेष औषधि की ज़रूरत होगी।”
राजा ने बेचैनी से पूछा—“क्या चाहिए? कुछ भी हो, मैं ला दूँगा!”
डॉक्टर ने उत्तर दिया—
“रानी को ठीक करने के लिए हमें एक जीवित बंदर का यकृत (liver) चाहिए।”
राजा के लिए यह एक बहुत बड़ी समस्या थी। उसने कभी किसी बंदर को समुद्र में नहीं देखा था।
डॉक्टर ने समझाया—“दक्षिण दिशा में एक द्वीप है, जिसे बंदरों का द्वीप (Monkey Island) कहते हैं। वहाँ बहुत सारे बंदर रहते हैं।”
राजा ने तुरंत आदेश दिया—“किसी भी तरह से एक बंदर को पकड़कर लाओ!”
जेलीफ़िश को बंदर पकड़ने का आदेश
राजा के प्रधान मंत्री ने सोचा और फिर कहा—
“हमारे पास कुराजे (Jellyfish) है। वह भले ही अजीब दिखता हो, लेकिन उसके चार पैर होते हैं, जिससे वह जमीन पर चल सकता है। वह यह काम कर सकता है!”
ड्रैगन राजा ने तुरंत जेलीफ़िश को बुलवाया और आदेश दिया—
“तुम बंदर के द्वीप पर जाओ और एक बंदर को यहाँ लेकर आओ!”
जेलीफ़िश बहुत घबरा गया। उसने हिचकिचाते हुए कहा—
“महाराज, मैंने कभी किसी बंदर को नहीं पकड़ा! मैं तो बस एक साधारण जीव हूँ!”
प्रधान मंत्री ने समझाया—
“तुम्हें अपनी शक्ति से नहीं, बल्कि चालाकी से बंदर को पकड़ना होगा।”
चालाक जेलीफ़िश और चालाक बंदर
जेलीफ़िश कई घंटों तक तैरकर बंदरों के द्वीप पहुँचा। वहाँ एक विशाल चीड़ (pine) के पेड़ पर उसने एक बंदर को बैठे देखा।
जेलीफ़िश ने मधुर आवाज़ में कहा—
“नमस्ते, श्रीमान बंदर! आज का दिन कितना सुहावना है!”
बंदर ने आश्चर्य से देखा और पूछा—
“अरे! तुम कौन हो? और यहाँ पानी के किनारे क्या कर रहे हो?”
जेलीफ़िश ने उत्तर दिया—
“मेरा नाम कुराजे है। मैं समुद्र के ड्रैगन राजा का सेवक हूँ। मैं तुम्हें अपने राजमहल में आमंत्रित करने आया हूँ। वहाँ की सुंदरता देखने लायक है—रत्नों से सजी दीवारें, चमचमाती सीपियाँ, मोतियों के झरने…“
बंदर को यह सुनकर बहुत दिलचस्पी हुई। उसने पूछा—
“सचमुच? वहाँ जाने के लिए मुझे क्या करना होगा?”
जेलीफ़िश बोला—“बस मेरी पीठ पर बैठ जाओ और मैं तुम्हें ले चलूँगा।”
बंदर को थोड़ा संदेह तो हुआ, लेकिन वह महल देखने के लोभ में जेलीफ़िश की पीठ पर बैठ गया।
बंदर का चतुराई से बचाव
जब वे समुद्र के बीच पहुँचे, तो जेलीफ़िश से रहा नहीं गया। उसने भोलेपन में पूछ लिया—
“वैसे, श्रीमान बंदर, आपके पास **यकृत (liver) तो है न?“*
बंदर चौंक गया और पूछा—
“मेरे यकृत से तुम्हें क्या लेना-देना?”
जेलीफ़िश ने मासूमियत से सारा सच बता दिया।
बंदर यह सुनकर बहुत डर गया। लेकिन वह बहुत चालाक था। उसने तुरंत कहा—
“अरे बाप रे! तुम्हें पहले क्यों नहीं बताया? मेरा यकृत तो मैंने पेड़ पर टांग दिया था!“
जेलीफ़िश ने आश्चर्य से पूछा—“क्या?”
बंदर बोला—“हाँ! जब मैं पेड़ पर चढ़ता हूँ तो मेरा यकृत भारी पड़ता है, इसलिए मैं इसे पेड़ की शाखा पर लटका देता हूँ। जल्दी से वापस चलो, मैं इसे ले लूँ!”
जेलीफ़िश खुशी-खुशी बंदरों के द्वीप लौट आया।
जैसे ही बंदर पेड़ पर पहुँचा, वह जोर-जोर से हँसने लगा और बोला—
“अरे मूर्ख जेलीफ़िश! क्या कोई अपना यकृत निकालकर रख सकता है? मैंने तुम्हें मूर्ख बना दिया! अब जाओ और राजा से कह दो कि मैं अपनी जान इतनी आसानी से नहीं दूँगा!”
जेलीफ़िश की सजा
बेचारा जेलीफ़िश निराश होकर राजा के पास लौटा और सारी बात बता दी।
राजा क्रोधित हो गया और आदेश दिया—“जेलीफ़िश को सज़ा दो! इसकी सभी हड्डियाँ निकाल दो ताकि यह फिर कभी धोखा न दे सके!”
और तभी से, जेलीफ़िश एक नरम, हड्डी-रहित जीव बन गया, जैसा कि आज हम उसे देखते हैं।
निष्कर्ष –
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें हर परिस्थिति में बुद्धिमत्ता और सतर्कता से काम लेना चाहिए। बंदर ने अपने तेज़ दिमाग से अपनी जान बचाई, जबकि जेलीफ़िश ने बिना सोचे-समझे कार्य किया और दंड भोगा।
इसलिए, जीवन में सिर्फ शक्ति और शक्ति का भय ही सबकुछ नहीं होता, बल्कि सही समय पर सही बुद्धि का उपयोग करना सबसे महत्वपूर्ण होता है।
——- समाप्त ——-
सीख –
- चतुराई हमेशा ताकत से ज्यादा प्रभावी होती है।
- जल्दी भरोसा करने से नुकसान हो सकता है।
- संकट के समय धैर्य और बुद्धिमानी ही बचाव कर सकती है।Top of Form
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References:
Ozaki, Y. (1908). The Jelly Fish and the Monkey. Japanese Fairy Tales (Lit2Go Edition). Retrieved February 21, 2025, from https://etc.usf.edu/lit2go/72/japanese-fairy-tales/4842/the-jelly-fish-and-the-monkey/