वसंत ऋतु [Hindi Essay – (Vasant Ritu translates to Spring Season. It is characterised by pleasant weather, blooming flowers, and the emergence of new leaves)]

जब ठंडी हवाओं की सिहरन विदा लेने लगती है और सूर्य की किरणें धरती पर धीरे-धीरे अपना स्वर्णिम आंचल बिछाने लगती हैं, तब प्रकृति एक नए रूप में सजने लगती है। यह वह समय होता है जब वसंत ऋतु अपने पूरे यौवन में धरती पर अवतरित होती है। न धरती कांपती है, न आकाश उदास होता है; सब कुछ जैसे मुस्कुराने लगता है। वसंत की आहट मात्र से वृक्षों पर नए पत्तों की कोंपलें फूट पड़ती हैं और हवाओं में मधुर सुगंध तैरने लगती है।

चारों ओर जैसे प्रकृति ने इंद्रधनुषी चादर ओढ़ ली हो। सरसों के खेतों की पीली चुनरियाँ, आम के बौर की सोंधी महक, पलाश के अंगारों-से फूल और रंग-बिरंगे पुष्पों से सजे बाग-बगिचे—सब कुछ मन मोह लेते हैं। तितलियों की मंडराहट, भौंरों की गुनगुनाहट और कोयल की कूक, सब मिलकर प्रकृति की संगीत सभा सी रच देते हैं। ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने स्वयं को नववधू की तरह श्रृंगारित कर लिया हो।

इस मौसम में सिर्फ पेड़-पौधे ही नहीं, मानव का मन-मयूर भी नाच उठता है। “मन मोह लेने वाला मौसम” केवल एक कहावत नहीं रह जाती, यह जीवन का अनुभव बन जाता है। नयनाभिराम दृश्य और सौम्य वातावरण हर किसी के मन को उल्लास से भर देता है। कवियों की कल्पना उड़ान भरने लगती है, चित्रकारों के ब्रश नए रंग तलाशने लगते हैं, और संगीतकारों की वीणा से नए राग फूट पड़ते हैं।

गांवों में वसंत का आनंद निराला होता है। वहां की मिट्टी में वसंत की सुगंध कुछ और ही घुल जाती है। खेतों में गेहूं की बालियाँ लहरा रही होती हैं, आम्रवृक्षों पर बौर अपनी सौंधी सुवास बिखेर रहे होते हैं। बच्चे फगुआ के गीत गा रहे होते हैं और ढोलक की थाप पर नाचते-गाते ग्रामीण जन जीवन का उत्सव मना रहे होते हैं। नगरों की भीड़भाड़ भले ही वसंत की सुंदरता को ढँक दे, परंतु गांवों में यह ऋतु अपना पूरा जादू बिखेरती है।

वसंत न केवल सौंदर्य और उमंग का प्रतीक है, बल्कि यह स्वास्थ्य का सच्चा साथी भी है। इस ऋतु में शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। प्रातःकाल की शीतल मंद बयार में टहलना, जैसे जीवन को फिर से जीने का निमंत्रण देता हो। यह ऋतु रोगों को दूर करने वाली और मन को प्रसन्न रखने वाली होती है। यही कारण है कि इसे ‘ऋतुओं का राजा’ कहा गया है।

भारतीय संस्कृति में वसंत पंचमी का विशेष महत्व है। यह दिन ज्ञान की देवी सरस्वती को समर्पित है। इस दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों की पूजा करते हैं और विद्या, बुद्धि तथा संगीत की देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यही वह समय है जब विद्यालयों में कवि सम्मेलनों, गीत-नृत्यों और साहित्यिक गतिविधियों की बहार आ जाती है। गांव-गांव में झूलों की सजावट होती है और लोकगीतों की मिठास वातावरण में घुल जाती है।

वर्तमान समय में जब मानव तनाव, प्रदूषण और कृत्रिम जीवनशैली से घिरा है, वसंत ऋतु जैसे एक नैसर्गिक उपाय की भूमिका निभाता है। यह ऋतु हमें याद दिलाती है कि सच्चा आनंद प्रकृति की गोद में है, जहाँ न शोर है, न दिखावा—सिर्फ सादगी, सहजता और सौंदर्य है। आधुनिक जीवन की भागदौड़ में भी यदि हम थोड़ी देर प्रकृति के संग बिता लें, तो जीवन सरल और सुंदर लगने लगता है।

इस ऋतु में न केवल पेड़-पौधे नवजीवन पाते हैं, बल्कि मनुष्य के अंदर भी एक नया उत्साह, नई चेतना जागृत होती है। “नव प्रभात के साथ नया सृजन”—यही वसंत का संदेश है। वसंत ऋतु एक संदेशवाहक है, जो हमें यह सिखाता है कि जीवन में नयापन और रचनात्मकता लानी हो तो हमें प्रकृति के संग चलना होगा।

वसंत ऋतु केवल ऋतु नहीं, एक भावना है—सौंदर्य की, सृजन की, समर्पण की। वह हर साल आता है, बिना किसी अपेक्षा के, बस देने के लिए। फूलों की मुस्कान, पत्तों की सरसराहट, हवाओं की सरगम—सब मिलकर कहते हैं, “जियो मुस्कराकर, क्योंकि यह वसंत है।”

अस्वीकरण (Disclaimer):
यह निबंध केवल शैक्षणिक संदर्भ और प्रेरणा हेतु प्रस्तुत किया गया है। पाठकों/विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे इसे शब्दशः परीक्षा या प्रतियोगिताओं में न लिखें। इसकी भाषा, संरचना और विषयवस्तु को समझकर अपने शब्दों में निबंध तैयार करें। परीक्षा अथवा गृहकार्य करते समय शिक्षक की सलाह और दिशा-निर्देशों का पालन अवश्य करें।

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