वृद्ध व्यक्ति जिसने सूखे पेड़ों को खिलाया (The Old Man Who Made Withered Trees to Flower)

(यह कहानी जापान की एक पुरानी लोककथा पर आधारित है)

एक सच्ची मित्रता

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक वृद्ध व्यक्ति और उसकी पत्नी रहते थे। उनकी रोज़ी-रोटी एक छोटे से खेत पर निर्भर थी। उनका जीवन शांतिपूर्ण और खुशहाल था, बस एक बात का दुःख था—उनकी कोई संतान नहीं थी। उनके जीवन में बस एक ही सहारा था—उनका प्यारा कुत्ता शिरो (Shiro)

शिरो का मतलब होता है “सफेद,” और वह एकदम जापानी नस्ल का कुत्ता था, भेड़िए जैसा दिखने वाला। वे दोनों उसे बहुत प्यार करते थे, इतना कि जब भी उनके पास कुछ अच्छा खाने को होता, वे पहले शिरो को खिलाते और खुद कम खाते।

हर शाम जब वृद्ध व्यक्ति खेत से लौटता, तो वह अपने घर के बरामदे पर बैठकर बचा हुआ खाना शिरो को खिलाता। वह शिरो से कहता, “चिन, चिन!” और शिरो ख़ुशी से बैठकर भीख माँगने की मुद्रा में पंजे उठाता। वृद्ध व्यक्ति हंसता और उसे खाना खिलाता।

ईर्ष्यालु पड़ोसी

वृद्ध दंपति के पड़ोस में एक दुष्ट वृद्ध व्यक्ति और उसकी पत्नी रहते थे। वे न केवल वृद्ध व्यक्ति से बल्कि शिरो से भी नफरत करते थे। जब भी शिरो गलती से उनके आंगन में चला जाता, वे उसे मारते, उस पर पत्थर फेंकते और उसे चोट पहुँचाते।

खज़ाने की खोज

एक दिन, शिरो खेत में ज़ोर-ज़ोर से भौंकने लगा। वृद्ध व्यक्ति भागते हुए वहां पहुँचा। शिरो ने खुशी से पूंछ हिलाई और वृद्ध के कपड़े पकड़कर उसे एक बड़े येनोकी (yenoki) पेड़ के नीचे ले गया। वहां जाकर वह ज़मीन खोदने लगा। वृद्ध व्यक्ति ने सोचा कि ज़रूर कुछ खास है।

वह जल्दी से फावड़ा लाया और खुदाई करने लगा। अचानक, उसे ज़मीन में सोने के सिक्कों का खज़ाना मिला! वह खुदाई करता गया और सिक्के मिलते गए। शिरो गर्व से बैठा था, मानो कह रहा हो, “देखा, मालिक! मैं तुम्हारी भलाई के लिए कुछ कर सकता हूँ!”

वृद्ध दंपति बहुत खुश हुए और उन्होंने शिरो को और भी ज्यादा प्यार से नहलाया-दुलारा।

पड़ोसी की लालच

ईर्ष्यालु पड़ोसी ने यह सब छुपकर देखा। उसने सोचा, “अगर यह कुत्ता उस वृद्ध के लिए सोना ढूंढ सकता है, तो मेरे लिए भी ढूंढेगा।” उसने वृद्ध से शिरो को उधार मांगा।

वृद्ध को यह अजीब लगा, लेकिन वह दयालु था, इसलिए उसने हाँ कर दी। दुष्ट पड़ोसी शिरो को अपने खेत ले गया और उसे ज़ोर-ज़बरदस्ती से ज़मीन खोदने को कहा। शिरो डर के मारे ज़मीन खरोंचने लगा, लेकिन वहाँ सिर्फ कचरा और सड़ी-गली चीज़ें निकलीं।

क्रोधित पड़ोसी ने क्रूरता से फावड़ा उठाया और निर्दोष शिरो को मार डाला। उसने लाश को उसी गड्ढे में गाड़ दिया। जब वृद्ध को यह भयानक ख़बर मिली, तो उसकी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन वह शांत रहा। उसने सिर्फ एक अनुरोध किया, “कम से कम मुझे वह पेड़ दे दो, जिसके नीचे मेरा प्यारा शिरो दफ़न है।”

जादुई ओखली

वृद्ध व्यक्ति ने पेड़ को काटा और उससे एक ओखली बनाई। जब उसकी पत्नी ने उसमें चावल डाले, तो चावल पांच गुना बढ़ गए! यह शिरो की तरफ़ से एक दिव्य आशीर्वाद था। अब वे भूख से कभी परेशान नहीं हुए।

लेकिन लालची पड़ोसी ने फिर से धोखा दिया। उसने ओखली उधार ली, लेकिन जब उसमें कुछ भी जादुई नहीं हुआ, तो उसने गुस्से में उसे जला दिया। वृद्ध व्यक्ति ने विनम्रता से उसकी राख मांगी और उसे अपने घर ले गया।

सूखे पेड़ों को फूलों से भर देना

एक दिन, गलती से वृद्ध व्यक्ति ने राख को अपने बगीचे के पेड़ों पर गिरा दिया। जैसे ही राख ने शाखाओं को छुआ, वे खिल उठे! यह देख पूरे गाँव में उसकी चर्चा होने लगी।

एक दिन, एक सामंत (डायम्यो/ Daimio) के राजपुरुष उसके पास आए और उसे महल में बुलाया। महल के बगीचे का सबसे प्रिय चेरी का पेड़ सूख चुका था। वृद्ध व्यक्ति वहाँ पहुँचा और उसने राख छिड़की। देखते ही देखते पेड़ फूलों से लद गया!

डायम्यो इतना खुश हुआ कि उसने वृद्ध को धन-संपत्ति और सम्मान से नवाज़ा। उसने वृद्ध को नया नाम दिया— हाना-साका-जिजी” (वृद्ध व्यक्ति जो पेड़ों को खिलाता है) [“Hana-Saka-Jijii” (The Old Man who makes the Trees to Blossom)]

लालच का अंत

दुष्ट पड़ोसी को फिर से जलन हुई। उसने भी राख उठाई और राजा के पास पहुँच गया। उसने झूठ बोला कि वह “हाना-साका-जिजी” है और एक सूखे पेड़ पर राख छिड़की। लेकिन पेड़ पर कोई फूल नहीं खिले। बल्कि राख राजा की आँखों में चली गई!

राजा ने गुस्से में उसे जेल में डाल दिया। इस तरह, उसकी लालच और क्रूरता का अंत हो गया।

——- समाप्त ——-

शिक्षा:

  • सच्ची भलाई का सदा पुरस्कार मिलता है।
  • लालच और ईर्ष्या का परिणाम सदैव बुरा होता है।
  • दया और प्रेम से किए गए कार्यों का फल दिव्य आशीर्वाद के रूप में मिलता है।

Disclaimer:

This story is a Hindi translation of the story taken from below mentioned reference(s). The purpose of this translation is to provide access to the content for Hindi-speaking readers. All rights to the original content remain with its respective author and publisher. This translation is presented solely for educational and informational purposes, and not to infringe on any copyright. If any copyright holder has an objection, they may contact us, and we will take the necessary action.

References:

Ozaki, Y. (1908). The Story of the Old Man Who Made Withered Trees to Flower. Japanese Fairy Tales (Lit2Go Edition). Retrieved February 19, 2025, from https://etc.usf.edu/lit2go/72/japanese-fairy-tales/4879/the-story-of-the-old-man-who-made-withered-trees-to-flower/

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