भारतीय नारी [Hindi Essay – The Indian Woman]
स्त्री और पुरुष जीवन रूपी रथ के दो पहिए हैं। यदि एक भी कमजोर पड़े, तो जीवन की गति रुक […]
स्त्री और पुरुष जीवन रूपी रथ के दो पहिए हैं। यदि एक भी कमजोर पड़े, तो जीवन की गति रुक […]
भारत विविधताओं का देश है, जहाँ प्रत्येक पर्व अपनी सांस्कृतिक महत्ता के साथ मनाया जाता है। इनमें राष्ट्रीय पर्वों का
भाषा किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है। वह न केवल विचारों का आदान-प्रदान करती है, बल्कि संस्कृति, परंपरा और
विद्यार्थी जीवन किसी भी राष्ट्र की नींव है। “यथा बीजं तथा वृक्षः” — जैसे बीज होंगे, वैसा ही वृक्ष विकसित
15 अगस्त का दिन भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया एक गौरवमयी पर्व है। 1947 में इसी दिन भारत
भारत एक बहुभाषी, बहुधर्मी, और विविध सांस्कृतिक पहचान वाला राष्ट्र है। यहाँ असंख्य जातियाँ और बोलियाँ प्रचलित हैं, परंतु जब
भारतीय किसान का जीवन प्रकृति की गोद में खिलती उस कली की भाँति है, जो धूप, वर्षा और आंधी के
विद्यार्थी जीवन मनुष्य के भावी जीवन की नींव होता है। यदि यह नींव मजबूत हो, तो भविष्य का निर्माण भी